मकरोनिया के नर्सिंग होम ने मरीज को नहीं दी थी ट्रीटमेंट फाइल, काउंसिल ने पूरे प्रदेश को जारी किए निर्देश
रजाखेड़ी स्थित सेवा अस्पताल में भर्ती थी प्रसूता, 6 महीने बाद दिए थे जांच-पर्चे

अभी केवल गिने-चुने जांच उपचार के पर्चे देते हैं
अस्पताल में भर्ती मरीज की फाइल बनाई जाती है। रोज दी जाने वाली दवा, डॉक्टरों की सलाह, इंजेक्शन और अन्य जांचों का ब्योरा इसमें दर्ज होता है। डिस्चार्ज होने पर मरीज को सिर्फ डिस्चार्ज लेटर दिया जाता है। इसमें एक-दो लाइन में इलाज का विवरण होता है। साथ ही आगे की दवा लिखी जाती है। इलाज पूरा होने पर मरीज को फाइल नहीं दी जाती है। मांगने पर उसे कतिपय जांच-उपचार आदि के पर्चे थमा दिए जाते हैं लेकिन अब मरीज को उसके इलाज संबंधी पूरे दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे।
सीजेरियन डिलीवरी के बाद संपूर्ण ट्रीटमेंट के पर्चे मांगे थे
दमोह में पथरिया के कार्तिक सिंह राजपूत ने मप्र मेडिकल काउंसिल से शिकायत की थी। कहा था, कि भाभी पूजा को सीजेरियन डिलेवरी के लिए पांच दिन मकरोनिया के सेवा हॉस्पिटल में भर्ती रखा गया। डिस्चार्ज के समय अस्पताल संचालक डॉ. रजनीश मिश्रा व डॉ. निधि मिश्रा ने इलाज के दस्तावेज नहीं दिए। पूजा ने इलाज के दस्तावेज मांगे थे।
इथिक्स कम डिसिप्लिनरी कमेटी ने नियमों का उल्लंघन पाया
काउंसिल की इथिक्स कम डिसिप्लिनरी कमेटी ने शिकायतकर्ता और डॉक्टरों के बयान लिए। पाया कि मरीज ने 21 मार्च 2022 को दस्तावेज मांगे थे, अस्पताल ने इलाज के रिकॉर्ड 13 अक्टूबर 2023 को दिए। इसे इंडियन मेडिकल काउंसिल (प्रोफेशनल कंडक्ट, एटिकेट एंड इंथिक्स) रेगुलेशन 2002 का उल्लंघन माना गया है। काउंसिल ने डॉ. रजनीश और डॉ. निधि मिश्रा को चेतावनी दी कि आगे कभी ऐसी गलती न करें। साथ ही निर्देश दिए कि किसी भी अस्पताल में मरीज या मांगने पर उसे ट्रीटमेंट संबंधी सभी दस्तावेज दिए जाएं।



