मानव शास्त्र विभाग के एचओडी ने एक शोध कार्य को अलग-अलग टाइटल देकर दो बार प्रकाशित कराया!
सीबीआई के व्हिसल ब्लोअर अरविंद भट्ट ने लगाया आरोप, एचओडी और डोफा के पद से हटाने की मांग की

सागर। डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि का मानव शास्त्र विभाग एक बार फिर चर्चा में है। इस दफा यहां के प्रोफेसर्स के बीच झगड़ा तो नहीं हुआ है लेकिन एक प्रोफेसर पर अकादमिक कार्य में फ्रॉडबाजी करने के आरोप लगे हैं। मामला विभाग के अध्यक्ष, प्रो. डॉ. अजीत जायसवाल से जुड़ा है। जिनके बारे में सीबीआई के व्हिसल ब्लोअर के रूप में काम कर रहे आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद भट्ट ने कुलपति डॉ. नीलिमा गुप्ता से शिकायत की है।
भट्ट ने आरोप लगाया है कि प्रो. जायसवाल, वर्तमान में उनके द्वारा धारित पद विभागाध्यक्ष और डायरेक्टर ऑफ फैकल्टी अफेयर्स (डोफा) पर काम करने की नैतिक योग्यता नहीं रखते हैं। प्रो. जायसवाल पर आरोप है कि उन्होंने पांडिचेरी विवि में असिस्टेंट प्रोफेसर और रिसर्च एसोसिएट रहते हुए अपने एक शोध कार्य को दो बार अलग-अलग वर्ष एवं साइंस जर्नल में पब्लिश कराया। इसके लिए उन्होंने बड़ी चालाकी से शोध कार्य के शीर्षक भर बदल दिए।
एक ही शोध को पहले 2015में फिर 2018 में छपवा दिया
शिकायतकर्ता भट्ट के अनुसार प्रो. जायसवाल ने भारत की खरवार जनजाति पर एक शोध कार्य किया था। जिसे उन्होंने वर्ष 2015 में ग्लोबल जनरल ऑफ एन्थ्रोपलॉजी रिसर्च एवं वर्ष 2018 में ग्लोबल जनरल ऑफ इकोलॉजी एन्थ्रोपलॉजी में प्रकाशित कराया था। वर्ष 2015 में प्रकाशित शोध को उन्होंने ए स्टडी ऑन बॉडी मास इंडेक्स एंड प्रिवेंशन ऑफ क्रोनिक एनर्जी डिफिसिएन्सी अमंग अडल्ट खरवार ट्राइव्स ऑफ इंडिया और वर्ष 2018 में इसी शोध का शीषर्क, नेशनल एंड हेल्थ स्टेटस एवोल्युशन ऑफ ट्राइव्स ऑफ उत्तरप्रदेश: एन एंथ्रोपोलीजिकल डाइमेन्शन से प्रकाशित कराया। भट्ट का कहना है कि प्रो. जायसवाल का यह कृत्य धोखेबाजी, जालसाजी एवं शोध नियमों के उल्लंघन के अंतर्गत आता है। उन्हें विवि में अध्यापन का अधिकार नहीं है न ही वह डोफा जैसे बेहद प्रभावशाली व जिम्मेदार पद पर रह सकते हैं। आगे भट्ट ने कहा है कि प्रोफेसर अजीत जायसवाल को विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य हेतु रखना सरासर वैधानिक नियमों की अनदेखी करना है। वर्तमान में विश्वविद्यालय में अनिमितताओं/नियुक्तियों के संबंध में जो भी शिकायत की जाती हैं उसमें विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा किसी भी प्रकार की कार्यवाही न किये जाने से ऐसा प्रतीत होता है कि विश्वविद्यालय प्रशासन की भी उसमें संलिप्तता है।
सभी पद से हटाते हुए आपराधिक केस दर्ज कराएं
शिकायतकर्ता अरविंद भट्ट ने कुलपति डॉ. गुप्ता से मांग की है कि प्रो. जायसवाल को तत्काल प्रभाव से विभागाध्यक्ष और डोफा से हटाया जाए। उनके खिलाफ सिविल लाइंस थाने में जालसाजी, धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया जाए। अन्यथा मैं, स्वयं सिविल लाइंस पुलिस थाने में प्रो. जायसवाल के खिलाफ एफआईआर कराऊंगा। भट्ट ने शिकायत की एक-एक कॉपी राष्ट्रपति कार्यालय, शिक्षा मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय नई दिल्ली समेत एसपी ऑफिस सागर से भी की है।
12/06/2024



