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हार-हार कर थक चुकी कांग्रेस और चुनाव के वक्त जमीन की रजिस्ट्री कराते कांग्रेसी

कांग्रेस एक बार फिर सागर की सीट हार गई। कांग्रेस के आखिरी सांसद डॉ. आनंद अहिरवार थे। उनके बाद से यह सिलसिला वर्ष 1996 से चल रहा है।

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सागर। लोकसभा चुनाव- 2024 में कांग्रेस एक बार फिर सागर की सीट हार गई। कांग्रेस के आखिरी सांसद डॉ. आनंद अहिरवार थे। उनके बाद से यह सिलसिला वर्ष 1996से चल रहा है। इधर बीते आठ लोकसभा चुनावों से भाजपा की जीत का मार्जिन लगातार बढ़ रहा है। जैसे  इस बार भाजपा प्रत्याशी डॉ. लता वानखेड़े ने कांग्रेस प्रत्याशी चंद्रभूषणसिंह गुड्डू राजा को 4.77 लाख वोट से हरा दिया। संभवत: ऐसा पहली बार हो रहा है कि रिजल्ट आने के चार दिन बाद भी कांग्रेसी खेमे में इस हार को लेकर कोई चिंतन, समीक्षा पड़ताल सरीखे उपक्रम नहीं किए जा रहे। हालांकि कुछ हद तक यह ठीक भी है। क्योंकि इस सब से कुछ होता तो लोकसभा-विधानसभा सरीखे बड़े न सही, घरेलू स्तर के नगरीय निकाय के चुनावों का रिजल्ट सुधर जाता। बावजूद इसके कांग्रेस की हार की फुटकर-फुटकर समीक्षाएं तीन बत्ती से लेकर पूरे जिले में चल रही है। फुटकर से आशय है कि जहां दो-चार कांग्रेसी, किसी चाय-पान के ओटले में बैठकर मनन करते दिख जाएं। sagarvani.com ने इन्हीं फुटकर समीक्षा, चिंतन, आकलन वगैरह-वगैरह से यह इनपुट तैयार किया है। मुमकिन है कि मेहनती कांग्रेसी इससे सहमत होंगे।

प्रचार के वक्त जमीन की रजिस्ट्री

प्रत्याशी गुड्डू राजा ने अपनी इस चुनावी जंग में जिन दो नेताओं को अपना सबसे खास सिपहसालार बनाया था। खूब हेलीकॉप्टर में घुमाया था। वे ऐन प्रचार-प्रसार के वक्त किसी जमीन की रजिस्ट्री करा रहे थे। तीन बत्ती पर चर्चा कर रहे कांग्रेसियों के अनुसार यह कोई नई बात नहीं है, कांग्रेस जब भी हारती है तो यही “छोटे-छोटे से कारण” जिम्मेदार होते हैं। बताते चलें कि इनमें से एक नेता वही हैं। जिन्होंने गुड्डू राजा से मीडिया मैनेजमेंट की सुपारी ली थी। ये और बात है कि गुड्डू राजा जल्द ही उनके इस “हस्त कौशल” को समझ गए और उन्होंने यह काम एक पूर्व विधायक को सौंप दिया। 

सुरखी मेंं नीरज के भरोसे  रहे

सुरखी में प्रत्याशी राजा को भरोसा था कि महज 2000 वोट से हाल ही का विस चुनाव हारने वाली कांग्रेस को यहां बंपर वोट मिलेंगे। लेकिन हुआ उलटा, मंत्री गोविंदसिंह राजपूत की इस टेरेटरी में राजा को 85 हजार प्लस की हार मिली। नीरज पर अति से अधिक भरोसा महंगा पड़ा। राजपूत बंधुओं (हीरासिंह राजपूत) ने बता दिया कि हम जिस भी पार्टी में खड़े होते हैं, वोटर्स की लाइन वहीं से शुरु होती है।

खुरई में फिर सिंग इज किंग  प्रत्याशी गुड्डू राजा, स्वयं को ठाकुर बताते हुए खुरई समेत आसपास के इलाकों में पहुंचे। उन्हें स्थानीय राजपूत, ठाकुर व अन्य ने रिश्तेदारियों का हवाला देकर वोटें दिलाने का भरोसा दिला दिया। लेकिन पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के इस गढ़ में उनके बगैर मंशा के एक वोट यहां से वहां नहीं हुआ। कांग्रेस को  60 हजार वोट से हार मिली।

सागर में दक्खन के छोर पर कार्यालय 

गुड्डू राजा ने अपना चुनाव कार्यालय लेहदरा नाका रोड पर बनाया था। जो स्थानीय कांग्रेसियों के लिहाज से भी दूर था। नतीजतन चटक धूप में ये लोग इस कार्यालय आने से बचते रहे। उन्हें जब भी कार्यालय बुलाया जाता तो जवाब देते कि आप परेशान नहीं हों, हम लोग अपने वार्ड या जोन में काम कर रहे हैं। जबकि उनमें से अधिकांश घरों में कूलर के सामने बैठे होते थे।

बीना में निर्मला की पलटी भारी पड़ी

वोटिंग से ठीक 72 घंटे पहले जिले की इकलौती कांग्रेसी विधायक निर्मला सप्रे (बीना विस क्षेत्र)भाजपा में शामिल हो गईं। यहां तक तो ठीक था। बताया जाता है कि वे अपने साथ ”पोलिंग मैनेजमेंट” का हिसाब-किताब भी ले गईं। जिसके चलते यहां कांग्रेस हैंड टू माउथ हो गई। 40 हजार वोट से करारी हार मिली।

नरयावली के नेता स्टार प्रचारक थे

नरयावली से भी कांग्रेस को 53 हजार वोट की हार मिल। लेकिन इसके पीछे मुख्य कारण ये था कि यहां के सर्वमान्य कांग्रेसी नेता सुरेंद्र चौधरी, चुनाव में स्टार प्रचार थे। नतीजतन वे समय नहीं दे पाए।

हेलीकॉप्टर से प्रचार मंहगा पड़ा

गुड्डू राजा ने अपना पूरा प्रचार हेलीकॉप्टर से किया। उनका मानना था कि विदिशा तरफ की तीन सीटों के लिए इससे आसानी रहेगी। लेकिन ऐसा करते वक्त वह जमीन से गायब हो गए। नतीजतन वे तीनों सीट से 1.80 लाख वोटों से हार गए। हेलीकॉप्टर के खर्च के कारण ही राजा, कांग्रेस के अन्य स्टार प्रचारकों को सभा करने नहीं बुला सके।

मुंह चीन्ह-चीन्ह के रेवड़ी बंटवाईं

 प्रत्याशी के चुनाव कार्यालय से भी कम कलाएं नहीं दिखाई गईं। उदाहरण के खुद के वार्ड में कांग्रेस नहीं जिता पाने वाले कांग्रेसियों से अपने-अपने खास लोगों को चुनावी जिन्न बताकर प्रत्याशी से जमकर “गांधीजी” दिलाए। बाद में इन गांधीजी को आपस में बांट लिया गया।

मान लिया कि पैसे से चुनाव जीत जाएंगे

गुड्डू राजा एक धन संपन्न प्रत्याशी थे। कांग्रेस के प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने इसी की आड़ लेते हुए यहां एक भी सभा नहीं की। उन्होंने मान लिया कि गुड्डू रुपए के मैनेजमेंट से चुनाव जीत जाएंगे। इसलिए वे यहां सभाएं करने ही नहीं आए।

07/06/2024

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