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आगजनी: ‘क्वालिटी कंट्रोल’ के साथ ‘आत्मा’ को खाक करने का षड़यंत्र

सवालों के घेरे में किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग में लगी आग,जिन कक्षों में लगी आग उनमें असली-नकली खाद, बीज से लेकर था किसानों के ट्रेनिंग का ब्योरा

सागर। मंगलवार की सुबह-सुबह पुराने कलेक्टोरेट परिक्षेत्र स्थित किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के संयुक्त संचालक कार्यालय में हुई आगजनी कई सवाल खड़े कर रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जिन कक्षों में आगजनी हुई। वहीं विभागीय गतिविधियों से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज रखे जाते थे।आगजनी की चपेट में मुख्य रूप से दो कक्ष क्रमश: क्वालिटी कंट्रोल और आत्मा आए हैं। इन्हीं दो कक्षों के माध्यम से किसानों को क्वालिटी बीज, खाद, कीटनाशक आदि की उपलब्धता और उन्हें उन्नत खेती की ट्रेनिंग का संचालन किया जाताथा।

खिड़की के जरिए हुई आगजनी, शार्ट सर्किट का कोई चिन्ह नहीं

जिन कक्षों में आगजनी हुई है। वह संयुक्त संचालक कार्यालय के दांये तरफ स्थित हैं। इन कक्षों की खिड़कियों तक पहुंंचने के लिए बड़ा सुगम रास्ता है। आशंका है कि इसी रास्ते के जरिए तथाकथित शरारती तत्व कक्षों तक पहुंच गए और उन्होंने खिड़कियों के कांच फोड़कर ज्वलनशील पदार्थ भीतर फेंका और आग लगा दी। इस घटनाक्रम से साफ है कि यह आगजनी केवल दस्तावेजों को खाक करने के लिए लगाई गई थी। माचिस की तीली या जलती बीड़ी-सिगरेट से इतनी आगजनी संभव नहीं है। इस तथ्य को पुख्ता करने के लिए एक बड़ा सुबूत ये है कि ज्वलनशील पदार्थ का काफी हिस्सा कमरों के खिड़की के ठीक नीचे गिरा था। जिससे वहां की टाइल्स चलने के कारण टूट गईं। कमरों के बाकी हिस्सों आग केवल अलमारी व टेबिल पर रखे दस्तावेजों में लगी है।

शराबखोरी का अड्डा, सीसीटीवी कैमरे चालू-बंद

करोड़ रुपए के आसपास के सालाना बजट वाले इस कार्यालय के आसपास शराबियों का बसेरा रहता है। ऐसा विभाग के कतिपय कर्मचारियों का कहना है। जबकि हकीकत ये है कि कार्यालय के चारों ओर जिस तरह से शराब की खाली बॉटलें पड़ी हैं, उससे तो यही प्रतीत होता है कि यहीं का कतिपय स्टाफ शराबखोरी में लिप्त है। कार्यालय के बाजू में योजना एवं सांख्यिकी कार्यालय की छत है। जिस तक पहुंचने के लिए कृषि विभाग के इस ऑफिस से एक रास्ता बनाया गया है। इस छत पर दो चूल्हे बने हैं। पास ही शराब की खाली बॉटलें पड़ी हैं। साफ है कि इस छत पर भी पार्टिर्यां होती रहती हैं।

 

आरटीआई और विधानसभा के सवाल का दबाव तो नहीं था!

चर्चाओं के अनुसार इस आगजनी का एक बड़ा कारण, यहां लगा आरटीआई का एक आवेदन भी हो सकता है। सूत्रों के अनुसार एक आरटीआई कार्यकर्ता ने पिछले दिनों कार्यालय से किसानों की ट्रेनिंग, लाइसेंस से लेकर अमानक खाद, बीज और दवाई बेचने वालों के खिलाफ की गई कार्रवाई के साथ-साथ आय-व्यय का लेखा-जोखा मांगा था। कार्यालय इस जानकारी को देने में आनाकानी कर रहा था। नतीजतन विभाग प्रमुख को राज्य सूचना आयोग ने 25 हजार रुपए का जुर्माना देने का आदेश दिया था। वहीं एक आशंका ये भी है कि आगामी विधानसभा सत्र में विभाग से जुड़े किसी सवाल के कारण यह तथाकथित दुर्घटना अंजाम दी गई हो।

विशेष दस्तावेज नहीं जले, शरारती तत्व का हाथ

इस आगजनी में विशेष दस्तावेज नहीं जले हैं। आत्मा के तहत आने वाली प्रचार-प्रसार सामग्री ज्यादा जली है। वैसे भी अधिकांश दस्तावेजों का ब्योरा कम्प्यूटरों में सुरक्षित है। आरटीआई का कोई मामला नहीं है। संबंधित व्यक्ति को मांगी गई जानकारी उपलब्ध करा दी गई है। पुलिस में एफआईआर की गई है। पहले भी यहां से वायर चोरी हुए हैं, इसलिए बहुत मुमकिन है कि इस घटनाक्रम के पीछे किसी शरारती तत्व का हाथ हो।

बीएल मालवीय, प्रभारी संयुक्त संचालक, किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग, सागर 

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